Monday, August 29, 2016

नवाबी

ऐ हुजूर, ओ हुजूर, जी हुजूर
ऐ हुजूर, ओ हुजूर, जी हुजूर


अरे नवाबी , अहा नवाबी , ओहो नवाबी
छाये रे .....

फूल स्पीड में सड़क का गड्ढा कभी नजर ना आवें रे .....

अरे नवाबी , अहा नवाबी , ओहो नवाबी
छाये रे .....

अरे हियँ सट्टावें, हुआँ सट्टावें छुरा नजर ना आवें रे ....

अरे नवाबी , अहा नवाबी , ओहो नवाबी
छाये रे .....

अरे ता था थैया
कभी पासा पहिया
भाई प्यादा भटका जावे रे .....


अरे नवाबी , अहा नवाबी , ओहो नवाबी
छाये रे .....

अरे खुजली मचती जाये रे
अरे तलवा चाटता जाये रे
अरे परफ्यूम नहीं लगाए रे
अरे गंजा मांग बनाए रे
अरे...

अरे क्या ?

Friday, August 5, 2016

पानी में दिखने वाला आदमी

वो मुझे अक्सर दिखता था वहम मे, अनजाने मे
वहम, जेहेन में ज्यादा देर टिकता नहीं, बारिश के पानी सा 

वो अचानक से टिक जायेगा 
इसका अंदेशा मुझे था नहीं 
वैसे बारिश के पानी भी टिकते हैं 
गहराई में, शान्त 
आपको दीखते नहीं 
इसका मतलब ये नहीं की वो टिकते नहीं 

वो भी शांत ही रहता था, मूक 
बेजुबान सा मुझे गूँधता रहता 
कहीं तो गहराई में 
सच कहूँ मैंने कभी जनने की कोशिश नहीं की 

मैं कठोर सा जब ज़माने पे गुस्सा 
बारिश में भीगता रहता था
वो अक्सर मुझे सड़कों के गड्ढों में 
घुलता सा दिख जाता था 
हालात के हिलकोरों में झूलता हुआ 

अक्सर कोई आती जाती गाड़ी 
मुह कुचल देती थी उस गड्ढे का 
पर कुछ वक़्त में 
वो फिर वहीँ होता था 
हालात को मजबूर करता हुआ 

मुझे नौकरी मिल गयी 
ना कुचले जाने की 
मैंने खुसी से उस सड़क के किनारे बैठी भिखारन को 
उम्मीद से ज्यादा पैसे दिए 
तब मुझे बोध हुआ 
बेरोजगारी का 
बार बार कुचले जाने का 

पानी में रहते आदमी में 
मुझे एहसास दिलाया 
परछाईं महज रोशनी में रखी वस्तु की नहीं होती 
वस्तु भी परछाईं होती है
फर्क रौशनी के पड़ने का है 

रौशनी मुझपे नहीं पड़ी 
और आज मेरी नौकरी चली गयी 
पर मैं बेरोजगार तब हुआ 
जब उस भिखारन ने मेरी भीक वापस कर दी
और बदले में रख लिया थोड़े सा बारिश के पानी
जहाँ वो आदमी अक्सर दिखा करता था   


Tuesday, August 2, 2016

आजमा ना

आजमा ना आजमा ना
आजमा ना आजमा ना

ना मिलेगी ये जमी
ना मिलेगा आसमां

ढूंढता हूँ मैं जिसे
वो यहाँ रहता भी क्या?


हलके कागजों से बने
तिनके तिनके सपने

हलके कागजों से बने
तिनके तिनके सपने

बचपन की लहरों पे चल पड़े

छोटे भी, खोटे, भी सब खिलौना रख लिए
कट्टी कर के इस जमाने से चल दिए

पर न मिला वो ठिकाना
चलता रहा आजमाना


हर खिलौना, छूट गया
कागजों का, ये जमाना

हर खिलौना, छूट गया
कागजों का, ये जमाना

ना रही मेरी जमी ये, ना रहा आसमां
अब तो बस कर ऐ जिंदिगी आजमा ना
आजमा..... ना.....

आजमा ना आजमा ना
आजमा ना आजमा ना

आजमा ना आजमा ना
आजमा ना आजमा ना

आजमा ना आजमा ना
आजमा ना आजमा ना