Saturday, January 28, 2017

खुद को बनाने खुदा

उड़ती पतंग का
कब्ज़ा लिया हुआ है
ऊँगली फंसा जो मांझा। ......

हाथों की लकीरें
मिटा चला है
खुद को बनाने खुदा। .......

उड़ती पतंग का
कब्ज़ा लिया हुआ है
ऊँगली फंसा जो मांझा। ......

हाथों की लकीरें
मिटा चला है
खुद को बनाने खुदा। .......
मिला नया बहाना
नाम है गवाना
अब के मौसम
खुद को है पाना


उड़ती पतंग का
कब्ज़ा लिया हुआ है
ऊँगली फंसा जो मांझा। ......

हाथों की लकीरें
मिटा चला है
खुद को बनाने खुदा। .......

मिला नया बहाना
नाम है गवाना
अब के मौसम
खुद को है पाना

आँखों के मंजर
अब है मिटाना
कोरे कागज सा
जहाँ है बसाना
ना कोई जमाना
ना कोई ठिकाना

बहुत सांसे ले चूका मैं
गले बातें भर चूका मैं
इस पूरे जहाँ में
कहीं पूरा ना मैं

फिजायें ना मिली सरफिरी
दुआ कब से है खड़ी

अरे अब मिटा भी दो मुझे
अच्छा चलता हूँ मैं परे

खोने भी दो
खोने भी दो
जाने मुझे
जाने भी दो
जाने भी दो
जाने मुझे
खो......