Wednesday, November 25, 2015

बोसी बोसी बूंदों से

बोसी बोसी बूंदों से
ये आसमा जमी उतरा है

आज इन सांसों में
फिर कुछ नया है

तुम्हारी बातों में बेहक चल आएं थे, जो सफर
वो मुकाम अब तक अधूरा है

बोसी बोसी बूंदों से
ये आसमा जमी उतरा है

कहने को, कहे
गए, बहुत से दिन

रहने को, रही
नहीं, कोई मंजिल

पर फिर भी
         जीने को
लम्हों से
        पिने को        
अभी तक कुछ रखा है 

बोसी बोसी बूंदों से
ये आसमा जमी उतरा है

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